Dussehra 2022: क्यों रावण के थे 10 सिर? क्या है उनका मतलब? क्यों कहलाता है वो ‘दशानन’?

Dussehra 2022: Why Ravana had 10 heads? What do they mean? Why is it called 'Dashanan'?

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बुराई पर भलाई के जीत का प्रतीक दशहरे का पर्व 5 अक्टूबर को है। देश में कई जगहों पर रावण दहन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। रावण एक ऐसा असुर था, जो कि बहुत मायावी था।

उसके दस सिर थे, इसलिए उसे दशानन भी कहा जाता है लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि रावण के दस सिर थे ही नहीं, वो मायावी था और 65 प्रकार की कलाओं को जानता था इसलिए वो अपने दस सिर लोगों को दिखाकर भ्रम पैदा करता था, हालांकि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस में रावण के दस सिरों का वर्णन विस्तार से किया गया है।

रावण के दस सिर दस बुराइयों के मानक

आपको बता दें कि रावण के दस सिर दस बुराइयों के मानक हैं। ये दस बुराईयां हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, वासना, भ्रष्टाचार,अहंकार औरअनैतिकता, इसलिए ही जब रावण को दशहरे पर जलाया जाता है तो उसके साथ इन दस बुराइयों का अंत भी किया जाता है।

आखिर रावण के 10 सिर आए कहां से?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर रावण के 10 सिर आए कहां से? तो तुलसीदास ने लिखा है कि ‘रावण भगवान शिव का परम भक्त था। कई सालों तक जब भगवान शंकर उसके सामने प्रकट नहीं हुए तो उसने निराश और दुखी होकर अपना सिर काटकर शिव के चरणों में रख दिया लेकिन उसके धड़ में फिर से सिर लग जाता है। ऐसा वो दस बार करता है और दसों बार उसके धड़ में सिर लग जाता है।’

‘आज से तुम दशानन कहलाओगे’

अपने साथ हो रही इस घटना से खुद रावण भी हैरान होता है लेकिन उसकी इस बात शिव-शंकर खुश होते हैं और उसके सामने प्रकट होते हैं और कहते हैं कि ‘वो अलग योनी से जन्मा है और इसलिए उसके साथ ऐसा हो रहा है। आज से तुम दशानन यानी और दस मुख वाले कहलाओगे, तुम्हारा अंत तभी होगा जब कोई तुम्हारे नाभि पर प्रहार करेगा।’

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