होशियारपुर: होशियारपुर के नज़दीक रावलपिंडी के पास जमकर लुटा जा रहा हैं सरकार को। हुआ ऐसा है की इन दिनों बड़े प्रॉपर्टी डीलर अवैध कालोनी काट रहे हैं जिससे सरकार को करोडो का चुना लगता हैं।
ऐसे प्रॉपर्टी डीलर इस पर घर बनाकर बेच देते हैं जिससे खरीदने वालो लोगो को बाद में पछताना पड़ता हैं। आइये जानते हैं कैसे?
अवैध और कानूनी कॉलोनी में क्या अंतर है?
कोई भी कॉलोनी बसाने के लिए कॉलोनाइजर को पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद कॉलोनी का नक्शा पास होता है। पंजीकरण कराने के बाद वह नक्शा लगाकर नगर पालिका से अनुमति लेता है।
कॉलोनी में कॉलोनाइजर को सड़क, बिजली, पानी, स्ट्रीट लाइन, सीवेज, ड्रेनेज सिस्टम समेत सुरक्षा के इंतजाम करने होते हैं. इन सब के पूरा होने के बाद नगर पालिका कॉलोनाइजर को अनुमति देती है। जिसे बोलचाल की भाषा में वैद्य कॉलोनी कहा जाता है। वहीं, इन सभी को पूरा नहीं करने वाली कॉलोनियों को अवैध कॉलोनियां कहा जाता है।
इसलिए कॉलोनी बनी रहती है अवैध
कालोनी का नक्शा पास करते समय कालोनाइजर निर्धारित संख्या में भूखंडों के प्रशासन को बंधक बना लेता है, यानी वह गारंटी देता है कि जब तक वह विकास कार्य पूरा नहीं कर लेता है तब तक वह इन भूखंडों को नहीं बेचेगा।
यदि कालोनाइजर कॉलोनी में सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराता है तो प्रशासन इन भूखंडों को बेचकर उपरोक्त सुविधाएं वसूल करता है। लेकिन कॉलोनाइजर भी इन प्लॉटों को अपनी मिलीभगत से बेच देते हैं। जबकि नपा द्वारा उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।


