पंजाब में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह 2 अक्टूबर को मास्टरस्ट्रोक खेल सकते हैं। गैर राजनीतिक संगठन बनाकर पंजाब की राजनीति में नया दांव लगाएंगे। कैप्टन के करीबी सूत्रों की माने तो यह संगठन दिल्ली सीमा पर एक साल से चल रहे किसानों के आंदोलन को खत्म कर देगा। उसके बाद पंजाब में एक नई राजनीतिक पार्टी की शुरुआत होगी, जो पार्टियों की पहचान से ऊपर कैप्टन अमरिंदर सिंह के इर्द-गिर्द घूमेगी। इस तरह अमरिंदर किसानों के साथ-साथ केंद्र का भी ख्याल रख कर दुगना फायदा उठाएंगे।
अगले साल पंजाब में चुनाव होने हैं और कैप्टन 2022 में बड़े पैमाने पर वापसी करने जा रहे हैं। उनके सलाहकार नरिंदर भांबरी ने ‘कैप्टन फॉर 2022’ का पोस्टर शेयर कर इस बात का संकेत दिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने के बाद कैप्टन ने खुद भी कहा है कि वह एक सिपाही हैं, वह अपमान में मैदान नहीं छोड़ेंगे, चाहे वह राजनीति ही क्यों न हो।
बुधवार को दिल्ली में कैप्टन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की, जो पंजाब में नए राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा कर रहे हैं. हालांकि कैप्टन के बीजेपी में शामिल होने की संभावना कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी में शामिल हुए बिना अमरिंदर पंजाब की राजनीति के कप्तान कैसे बनेंगे? तो पढ़िए क्या होगी कप्तान की रणनीति…
सीधे बीजेपी में शामिल नहीं होंगे क्योंकि:
कैप्टन के सीधे बीजेपी में शामिल होने की संभावना कम है, क्योंकि न तो कैप्टन ऐसा चाहते हैं और न ही बीजेपी। गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कैप्टन के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसके 2 बड़े कारण हैं-
एक तो किसानों को कैप्टन के बारे में गलत संदेश जाएगा। किसान सोचेंगे कि कैप्टन ने उन्हें अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल किया। कैप्टन खुद को राजनीति में स्थापित करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने किसानों का वेश बनाया।
दूसरा कारण यह है कि केंद्र सरकार अभी भी कृषि कानूनों को लेकर अडिग है। बीजेपी यह संदेश नहीं देना चाहेगी कि उन्हें अगले चुनाव में किसानों की जरूरत है, इसलिए झुकना पड़ा. ऐसे में बीजेपी अपनी मजबूरी नहीं दिखाना चाहती, क्योंकि ऐसा हुआ तो विरोधी मुद्दा बनाएंगे.


