World wide City Live, जालंधर (आँचल) : रोडवेज के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि रूट पर चलने लायक बसें वर्कशाप में खड़ी हैं। उन्हें चलाने वाले ड्राइवर-कंडक्टर उपलब्ध नहीं हैं। सरकार बदलने के बावजूद पंजाब रोडवेज के बेड़े में एक वर्ष से बहुत सारी बसें वर्कशाप में ही खड़ी हैं, जिसकी एकमात्र वजह स्टाफ की किल्लत है। बसों की संख्या के मुताबिक इस समय करीब 30 प्रतिशत स्टाफ की कमी बताई जा रही है।
पंजाब रोडवेज में कर्मचारियों की किल्लत दूर करने के लिए बीती कांग्रेस सरकार की तरफ से विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रक्रिया चालू की गई थी। मगर उसे जारी रखने की अनुमति चुनाव आयोग से नहीं मिल पाई थी। आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से लेकर नई सरकार के बन जाने तक प्रक्रिया रुकी रही। उसके बाद आम आदमी पार्टी सरकार के गठन के लगभग 8 महीने बीत जाने के बावजूद कर्मचारी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।
पंजाब भर में स्थित रोडवेज के समस्त 18 डिपो इस समस्या से जूझ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही रोडवेज में 28 कर्मचारी कान्ट्रैक्ट के आधार पर भर्ती किए गए हैं। मगर उनमें से भी अधिकतर विभिन्न कारणों के चलते अभी रूट पर रवाना नहीं किए जा सके हैं। वहीं पंजाब रोडवेज पनबस कान्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन कान्ट्रैक्ट अथवा आउटसोर्स के आधार पर कर्मचारी भर्ती करने का कड़ा विरोध जता रही है।
मुख्य रूटों पर चल रही बसें, ग्रामीण क्षेत्र के रूट नजरअंदाज
कमाई के मद्देनजर डिपो प्रबंधन मुख्य रूटों पर ही बसें संचालित कर पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के कई रूट पर बसें चल ही नहीं पा रही हैं। एयरपोर्ट रूट, नई दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, जम्मू, बटाला आदि के लिए नियमित तौर पर बस सेवा उपलब्ध है। कर्मचारियों को तीव्र गति से भर्ती करने की जिम्मेदारी सरकार की है।


