World wide City Live, पंजाब : पंजाब के कई जिलों में पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके कचरे के बड़े पहाड़ों से राज्य को जल्द आजादी मिलने वाली है। सरकार के स्थानीय निकाय विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। पिछले दिनों एनजीटी की ओर से पंजाब सरकार को कूड़े के निष्पादन में लापरवाही बरतने पर 2080 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। साथ ही तय समय अवधि में कचरे के निपटारे के निर्देश दिए थे।
जानकारी के अनुसार, सरकार ने इससे सबक लेते हुए स्थानीय निकायों को 31 मार्च तक हर हाल में कचरे के पहाड़ों को रिसाइकिल कर इसका ट्रीटमेंट करने को कहा है। इसके लिए निकायों को संस्थाओं और निजी कंपनियों से सहयोग लेने का सुझाव दिया है। गौर हो कि सीवरेज और कचरा प्रबंधन के मामले में आदेशानुसार काम न करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2080 करोड़ रुपये का जुर्माना किया था, जिसे एकमुश्त जमा कराने से पंजाब सरकार ने इनकार कर दिया था। राज्य के वित्त विभाग ने इसके लिए असमर्थता जताई थी। हालांकि पहली किस्त के तौर पर सरकार ने 100 करोड़ रुपये एनजीटी में जमा करवा दिए थे।
अब सरकार के समक्ष जुर्माना अदा करने के अलावा कचरे के इन पहाड़ों से मुक्ति बड़ी चुनौती है। लिहाजा स्थानीय निकाय विभाग ने कुल 166 निकायों को योजनाबद्ध तरीके से इसके निपटान के आदेश दिए हैं। खास यह है कि 33 स्थानीय निकायों ने कचरे का 100 प्रतिशत प्रबंधन कर एक उदाहरण पेश किया है। इन निकायों की योजना भी दूसरे यूएलबी के साथ साझा की जाएगी। इसमें लुधियाना और अमृतसर जैसे बड़े शहरों की डंपिंग साइट को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि लुधियाना के ताजपुर में 25 लाख मीट्रिक टन कचरे के निष्पादन के लिए बायोरेमिडियल प्लांट ने काम शुरू कर दिया है, लेकिन यहां रोजाना कचरे की आमद को देखते हुए इसके पूरी तरह निपटान में समय लगेगा।
पंजाब के कुल 166 निकायों में से 33 ने कचरे का 100 प्रतिशत निपटान कर प्रदेश में एक उदाहरण पेश किया है। कई जगह टेंडर लगाए जा रहे हैं। वहीं, स्थानीय निकायों को अपने स्तर पर योजना बनाने के लिए कहा गया है। 31 मार्च तक स्थानीय निकायों में कचरे के पहाड़ों का 100 प्रतिशत निष्पादन का लक्ष्य रखा गया।


