पंजाब विधानसभा के संभावित विशेष सत्र को लेकर भगवंत मान सरकार और राज्यपाल के बीच की खींचतान अभी भी बरकरार है। शुक्रवार को यह खींचतान एक स्तर और आगे चली गई। दरअसल, राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कैबिनेट द्वारा प्रस्तावित दूसरे विशेष विधानसभा सत्र का एजेंडा मांगा है।
राज्यपाल के इस कदम के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम ने ट्वीट कर कहा है, “विधानमंडल के किसी भी सत्र से पहले राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति सिर्फ औपचारिकता होती है।
पिछले 75 सालों में किसी भी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले कभी विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी। विधायी कार्य बीएसी और स्पीकर द्वारा तय किया जाता है। अब सभी भाषणों को भ राज्यपाल के द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। यह बहुत अधिक है।”
आपको बता दें कि विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल की सहमति मांगते समय आमतौर पर विधायी कार्यों की एक सूची प्रदान की जाती है।
आपको बता दें कि पंजाब सरकार ने 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र प्रस्तावित रखा है, जिसे राज्यपाल ने अभी मंजूरी नहीं दी है। हालांकि गुरुवार को इस विशेष सत्र के प्रस्ताव को भगवंत मान कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। गुरुवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई कि विधानसभा के विशेष सत्र में पराली जलाने और बिजली क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा भी की जाएगी।
बता दें कि पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने गुरुवार को पंजाब सरकार के द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र को सहमति नहीं दी थी। पंजाब सरकार भाजपा के कथित ‘लोटस ऑपरेशन’ के खिलाफ विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र बुला रही थी, लेकिन राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी थी। राज्यपाल ने यह कहते हुए सहमति नहीं दी थी कि कानूनी सलाह के बाद ऐसा किया गया है।
Gov/Presi consent before any session of Legislature is a formality. In 75 years, no Presi/Gov ever asked list of Legislative business before calling session. Legislative business is decided by BAC and speaker. Next Gov will ask all speeches also to be approved by him.its too much
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) September 23, 2022


