पंजाब कांग्रेस में लंबे समय तक चले गतिरोध के बाद उम्मीद की जा रही थी चरनजीत चन्नी (Charanjit Singh Channi) की सरकार शांतिपूर्वक चलेगी. नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) के खेमे के साथ चली लंबी रस्साकशी के बाद कैप्टन अमरिंदर को हटना पड़ा. लेकिन अब फिर एक नए संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है. राज्य पार्टी अध्यक्ष सिद्धू ने मंगलवार को इस्तीफा देकर चंडीगढ़ से दिल्ली तक राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी. सिद्धू के बाद उनके समर्थक नेताओं ने भी इस्तीफे दिए. देर शाम तक सिद्धू के पटियाला के यादवींद्र एनक्लेव स्थित घर पर नेताओं, मीडिया का जमावड़ा लगना शुरू हो गया.
वरिष्ठ पार्टी नेताओं कुलजीत नागरा, इंदरजीत बुलारिया, रजिया सुल्ताना, कुलविंदर डैनी, परगट सिंह, सुखपाल खैरा, कुलबीर ज़ीरा, निर्मल सिंह सुतराना जैसे नेताओं ने सिद्धू से बातचीत की. बैठक के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी माने जाने वाले विधायक परगट सिंह ने कहा, ‘एक-दो मुद्दे हैं, बात हो गई है. कई बार गलतफहमी हो जाती है, हम उन्हें हल कर लेंगे.’
इन सबके बीच यह भी खबर आई कि सिद्धू का इस्तीफा टॉप लीडरशिप ने स्वीकार नहीं किया है और उन्हें मनाने की कोशिश जारी है. कहा जा रहा है कि टॉप लीडरशिप नहीं चाहता है कि उसे एक बार फिर कैप्टन और सिद्धू जैसे विवाद का सामना करना पड़े. चुनाव अगले कुछ ही महीनों में होने हैं, ऐसे में पार्टी में शांति और एकजुटता बेहद जरूरी है.
सिद्धू का घर बना रणनीति का केंद्र
लेकिन इन सारी चीजों के बीच माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक सिद्धू के पटियाला स्थित घर पर नेताओं की आवाजाही बढ़ी रहेगी. सिद्धू खेमा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे गुरजीत सिंह को कैबिनेट में शामिल किए जाने से नाराज बताया जा रहा है. ऐसे में खेमे की तरफ से इसे लेकर दबाव बढ़ाया जा सकता है.
आलाकमान पर दबाव बनाने की कोशिश
सिद्धू कैंप यह भी आशा कर रहा है कि अभी 50 पार्टी नेताओं के इस्तीफे होने चाहिए जिससे पार्टी हाईकमान पर दबाव बन सके. सूत्रों के मुताबिक कुछ विधायकों ने सिद्धू से कहा है कि उनके इस्तीफे के कारण उन इलाकों में विवाद बढ़ सकता है जहां पर पार्टी नेता कैबिनेट विस्तार को लेकर पहले से नाराज हैं.
कैप्टन अमरिंदर-सुनील जाखड़ ने साधा निशाना
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के इस्तीफे के बाद उन पर निशाना साधा और कहा कि वह एक ‘अस्थिर व्यक्ति’ हैं तथा सीमावर्ती राज्य पंजाब के लायक नहीं हैं. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ कहा, “यह सिर्फ क्रिकेट नहीं है! इस पूरे ‘एपिसोड’ में जिस बात से समझौता किया गया है, वह है कांग्रेस आलाकमान द्वारा (निवर्तमान?) पीसीसी अध्यक्ष पर विश्वास. कोई भी भव्य प्रतिष्ठा अपने उपकारों को एक अजीबोगरीब स्थिति में रखकर भरोसे के इस उल्लंघन को सही नहीं ठहरा सकती है.”


