किसानों की नाराजगी से घिरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने इस साल दशहरा पर पंजाब में अपनी वार्षिक पूर्ण वर्दी परेड (Annual full uniform parade), पथ संचालन नहीं करने का फैसला किया है. इसमें आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा पूरी वर्दी में ताकत का प्रदर्शन और लाठी चलाना शामिल है. कभी-कभी वे हथियार भी दिखाते थे. यह प्रथा कई दशकों से चली आ रही है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस के राज्य नेतृत्व ने कथित तौर पर अपनी स्थानीय इकाइयों को परेड से बचने या बंद क्षेत्रों में छोटे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा है. हालांकि उन्होंने मुख्य कारण के रूप में किसानों की धमकी का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है. मालवा क्षेत्र के एक आरएसएस नेता ने कहा कि उन्हें मौखिक रूप से दशहरा पर कोई बड़ा आयोजन नहीं करने के लिए कहा गया है. आरएसएस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष इकबाल सिंह (Punjab unit president Iqbal Singh) ने कहा कि उन्होंने स्थानीय इकाइयों से कहा है कि वे अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोई भी फैसला लें. उन्होंने कहा कि पथ संचालन समाज में शांति और सद्भाव से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है.
आरएसएस के एक अन्य नेता ने कहा कि हम रूट मैप हफ्तों पहले बना लेते थे और आरएसएस कार्यकर्ता इसे लेकर उत्साहित होते थे. इस साल, कोई रूट मैप तैयार नहीं किया गया है और हमें इसे लो-प्रोफाइल मामले में रखने के लिए कहा गया है.
वहीं दूसरी ओर पहले दशहरा पर्व पर किसान संगठनों ने देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय राज्य गृह मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के पुतले जलाने का ऐलान किया था, लेकिन भाजपा ने जब यह आपत्ति जताई की यह हिंदुओं के त्योहारों में खलल है तो किसान संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन 16 अक्टूबर को निर्धारित किया है. संयुक्त बयान जारी करते हुए किसान संयुक्त मोर्चे के नेता बलबीर सिंह राजेवाल और कुलवंत सिंह संधू ने कहा है कि हम किसी कि धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं होने देंगे, इसलिए इस कार्यक्रम की तिथि को एक दिन आगे बढ़ाया गया है.


