पंजाब की जेलों में बंद हवालाती और कैदियों के लिए एक सरकार ने एक अच्छी पहल की है, जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है। अब कैदी न केवल जेल में अपनी पत्नी से मिल सकेंगे बल्कि उसके साथ अलग कमरे में समय भी गुजार सकेंगे।
इसकी शुरुआत गोइंदवाल केंद्रीय जेल से हुई है जहां अच्छे आचरण वाले कैदियों और हवालातियों को पत्नी मिलने का अवसर मिल रहा है। उन्हें पत्नी के साथ अलग कमरे में समय गुजारने के पूरे दिन का समय दिया जा रहा है।
केंद्रीय जेल गोइंदवाल की बात करें तो यहां 2,780 कैदियों को रखने की क्षमता है। इसमें 320 महिलाएं भी रखी जा सकती है। वर्तमान में यहां 1807 कैदी और हवालाती बंद हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश के बाद जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस व एडीजीपी जेल हरप्रीत सिंह सिद्धू के प्रयास यहां पारिवारिक मुलाकात 15 सितंबर से शुरू की गई। वहीं, विवाहिता मुलाकात 20 सितंबर से शुरू की गई।
जेल में तैयार किए गए दो हाल और एक रूम
जेल के सुपरिंटेंडेंट ललित कोहली ने कि जेल में फैमली मुलाकात के लिए दो हाल व पति-पत्नी की मुलाकात के लिए एक रूम तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि वे कैदी व हवालाती ही विवाहिता मुलाकात का लाभ ले रहे हैं, जिनके खिलाफ दुष्कर्म, घरेलू हिंसा या महिला हिंसा का मुकदमा दर्ज न हो।
अब तक 60 कैदी कर चुके विवाहिता मुलाकात
बुधवार तक 60 लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं। सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक पति-पत्नी की मुलाकात के लिए बकायदा नियम तैयार किए गए हैं। इसके लिए पत्नी या पति द्वारा अपने हमसफर से निजी मुलाकात बाबत बकायदा आवेदन लिया जाता है। इसी तरह, 92 कैदी और हवालाती परिवारिक मुलाकात कर चुके है।
सीसीटीवी कैमरों की नजर में पारिवारिक मुलाकात
परिवारिक मुलाकात के लिए बनाए गए रूम में एक टेबल पर चार-चार कुर्सियां लगाई गई है। जबकि इन कुर्सियों के साथ अलग तौर पर फर्नीचर का भी प्रबंध है। सीसीटीवी कैमरों की नजर में हाल में परिवारिक मुलाकात के दौरान कैदी और हवालाती अपने परिवारिक सदस्यों के साथ बहुत करीब से मुलाकात करते है।
परिवार से मुलाकात कर चुके जुगराज सिंह, जोगा सिंह, जतिंदर सिंह, मखतूल सिंह ने बताया कि केंद्रीय जेल के सुपरिंटेंडेंट ललित कोहली की अगुआइ में दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे तक अपने परिवार से मुलाकात के दौरान जहां दुख-सुख सांझा किया, वहीं मुकदमें से संबंधित चर्चा भी की।
मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही होती है मुलाकात
जेल सुपरिंटेंडेंट ललित कोहली ने बताया कि परिवारिक मुलाकात को गलवकड़ी का नाम देकर कैदियों और हवालातियों को उनके परिवारों से मिलाकर खुशी मिलती है।


