World wide City Live, जालंधर (आंचल) : कागजों पर अनफिट वाहनों को फिट बनाकर सड़कों पर दौड़ने की मंजूरी देने के गोरखधंधे ने हजारों लोगों की जिंदगी दांव पर लगा रखी है। हाल ही में जालंधर में विजिलेंस की तरफ से गिरफ्तार किए गए मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नरेश कलेर की गिरफ्तारी के बाद इसकी पुष्टि भी हो गई कि किस प्रकार मोटी रकम लेकर अनफिट वाहनों को रेवड़ियों की तरह फिटनेस प्रमाण पत्र बांटे जाते हैं। जालंधर में हर तीसरा वाहन अनफिट है और सड़कों पर मौत बनकर घूम रहा है।
इनमें कामर्शियल वाहनों की गिनती ज्यादा है। अधिकतर मामलों में यहीं वाहन हादसों की वजह बनते है। यहीं कारण है कि वे वाहनों की फिटनेस भी चेक नहीं करवाते और कुछ पैसे देकर पासिंग सर्टिफिकेट ले लेते हैं। यह गोरखधंधा अकेले जालंधर में ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब में खुलेआम चलाया जा रहा है।
सरकार ने तमाम व्यवसायिक वाहनों को फिट रखने के उद्देश्य से पासिंग का नियम बनाया है। एमवीआइ कार्यालय की तरफ से पासिंग प्रक्रिया के दौरान यह चेक करना होता है कि संबंधित वाहन सड़क पर चलने लायक भी है अथवा नहीं। पासिंग से पहले बकायदा तौर पर रोड टैक्स अदा किया होना चाहिए और उसका बीमा भी होना चाहिए लेकिन आर्थिक तंगी को आधार बनाकर वाहनों के मालिक रोड टैक्स की अदायगी नहीं कर रहे और वाहनों का बीमा तक नहीं करवा रहे।
वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का इस्तेमाल अनिवार्य है। इसे लेकर जागरूकता अभियान तो सरकारी तौर पर चलता रहता है, लेकिन सीट बेल्ट न लगाए जाने का फायदा ट्रैफिक पुलिस चालान काटने के तौर पर कर रही है। चंडीगढ़ में तो पिछली सीट पर बैठे लोगों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है, लेकिन सीट बेल्ट लगाने को लेकर अभी भी वाहन चालक जागरूक नहीं है। मात्र ट्रैफिक पुलिस का नाका देखकर वाहन चलाते हुए ही चालक सीट बेल्ट लगाते हैं। पंजाब के अधिकतर हिस्सों में तो वाहनों की पिछली सीटों पर बैठे लोगों की तरफ से सीट बेल्ट लगाया ही नहीं जा रहा है। बीते तीन सालों में जालंधर में करीब 12 हजार वाहनों के चालान बिना सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाने को लेकर किए गए हैं।


