जालंधर में पिछले दो साल के मुकाबले इस बार कम जली पराली

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World wide City Live, जालंधर (आँचल) : धान की कटाई के बाद गेहूं और आलू लगाने के लिए किसान खेत तैयार करने में जुटे हैं। पिछले दो साल के मुकाबले इस बार प्रशासन के प्रयास रंग लाने लगे हैं। इस बार ब्लाक स्तर पर पराली को आग लगने के कम मामले सामने आए हैं। किसानों की मानें तो सरकार उनको एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रबंधन के लिए फंड जारी करती तो पराली जलाने के मामले इससे भी कम हो सकते थे।

जिला प्रशासन के अनुसार इस समय तक पिछले दो साल के मुकाबले पराली को कम आग लगी है। 6 नवंबर 2020 तक 1451, 7 नवंबर 2021 तक 1640 और 6 नवंबर 2022 तक केवल 1075 मामले सामने आए हैं। लोहियां खास में तीनों साल औसतन मामले तकरीबन बराबर रहे, जबकि अन्य ब्लाकों में कम मामले सामने आए हैं।

वीकेंड की छुट्टी पर वाहनों की आवाजाही और फैक्ट्रियां बंद थी जिस कारण 16 घंटे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 100 से भी नीचे रहा। उसमें भी 9 घंटे तो शहर की हवा भी पूरी तरह से शुद्ध हो गई थी। न्यूनतम एक्यूआइ 34 दर्ज किया गया था। सप्ताह के पहले ही दिन एक्यूआइ फिर से बढ़कर अधिकतम 295 और न्यूनतम 90 रिकार्ड किया गया। मौसम विभाग ने वर्षा की आशंका जताई थी, मगर हुई नहीं।

एडीसी वरिंदर पाल सिंह बाजवा ने बताया कि खेतों में पराली जलाने वालों के खिलाफ सब डिवीजन स्तर बनाई टीमें कार्रवाई कर रही हैं। वहीं किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सहायता की जा रही है। सरकार के इसी प्रयास से यह परिणाम प्राप्त हुआ है।

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