पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Former Punjab CM Amarinder Singh) अपनी रियासत पटियाला में ही अपने पहले इम्तिहान में फेल होते दिख रहे हैं. पटियाला में कैप्टन अपने करीबी मेयर संजीव शर्मा बिट्टू की कुर्सी नहीं बचा सके. दरअसल गुरुवार को पटियाला नगर निगम (Patiala Corporation) की बैठक बुलाई गई थी जिसमें कि कैप्टन ग्रुप बहुमत साबित नहीं कर सका. कैप्टन अमरिंदर सिंह और सांसद परनीत कौर के कट्टर समर्थक माने जाने वाले बिट्टू को कुर्सी पर बनाए रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था. इसके लिए वह खुद भी वोट देने के लिए पटियाला पहुंचे थे. हालांकि कैप्टन की मेहनत काम नहीं आई. बिट्टू की जगह कैबिनेट मंत्री ब्रह्ममोहिन्द्रा के खास सीनियर डिप्टी मेयर योगेंद्र सिंह योगी को कार्यकारी मेयर बना दिया गया है.
पटियाला नगर निगम में 60 पार्षद हैं. इसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह, मंत्री ब्रह्ममोहिंदरा और हरिंदरपाल चंदूमाजरा ये तीन विधायक सदस्य हैं. ऐसे में 63 सदस्यों में से बिट्टू को जीत दर्ज करने के लिए दो तिहाई 42 वोट चाहिए थे. लेकिन उन्हें सिर्फ 25 वोट ही मिल सके. जबकि उनके खिलाफ में 36 वोट पड़े. जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया और सीनियर डिप्टी मेयर को मेयर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कैप्टन के दावों पर उठने लगे सवाल
पटियाला कारपोरेशन में कांग्रेस और कैप्टन समर्थकों के शक्ति प्रदर्शन के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह भाग लेने के लिए खास तौर पर चंडीगढ़ से पहुंचे थे. हालांकि सदन में मिली नाकामयाबी के बाद उनके विरोधी भी मान रहे हैं वह अपना गढ़ नहीं बचा सके. ऐसे में कैप्टन के नई पार्टी बनाकर पटियाला से विधानसभा चुनाव जीतने पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर खुद को पंजाब के लोगों से जुड़ा हुआ बताते हैं. कुछ समय पहले उन्होंने सोनिया गांधी को दिए अपने सात पन्नों के इस्तीफे में ऐसा दावा भी किया था कि कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में कई निकाय चुनावों में जीत हासिल की है
बता दें पटियाला विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री का पारिवारिक गढ़ रही है. उन्होंने चार बार 2002, 2007, 2012 और 2017 में इस सीट पर जीत हासिल की थी.
सिंह ने 2014 में अमृतसर लोकसभा सीट से जीत हासिल करने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. उनकी पत्नी परनीत कौर ने तब पटियाला से चुनाव लड़ा और तीन साल तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया


