हर कोई शादी की खास तैयारी करता है और दूल्हा-दुल्हन महंगे कपड़े खरीदते हैं. लेकिन क्या हो अगर शादी में आप दूल्हे को लहंगा पहने और दुल्हन को शेरवानी में देखें। तो चौंकिए मत, भारत के एक हिस्से में दूल्हे की दुल्हन की पोशाक पहनने की परंपरा भी चलन में है। आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में गन्नमणि समुदाय के लोग इस अनूठी प्रथा का पालन करते हैं।
दूल्हा साड़ी पहनता है
इस प्रथा के माध्यम से लड़का-लड़की के भेदभाव को तोडऩे का प्रयास तो होता ही है, साथ ही यह हमारे देश की विविधता की अनूठी मिसाल भी पेश करता है। शादी में लड़का न सिर्फ दुल्हन के कपड़े पहनता है बल्कि लड़की की तरह तैयार भी हो जाता है। इसके लिए उन्हें आभूषण और अन्य आभूषण भी पहनने होंगे।
दुल्हन लड़के के कपड़े पहनती है
इसी तरह, दुल्हन भी पैंट-शर्ट या धोती-कुर्ता पहनकर समारोह में शामिल होती है। इसके अलावा वह इस दौरान बन या पोनीटेल नहीं बांधती हैं बल्कि लड़कों के लिए हेयर स्टाइल बनाती हैं। इसके साथ ही लड़कों की तरह चश्मा पहनने का भी चलन है।
पुरुषों की छवि सुधारना था मकसद
यह परंपरा काकतीय साम्राज्य की रानी रुद्रमा देवी के समय से शुरू हुई थी। उनके सेनापति गन्नामणि परिवार के थे। रानी ने 1263 से 1289 तक साम्राज्य की सत्ता संभाली थी। इस परंपरा के पीछे का मकसद पुरुषों की छवि को दुनिया के सामने बेहतर तरीके से पेश करना था।
जंग लगे पुरुषों के कपड़े
जब युद्ध के दौरान सैकड़ों सैनिकों की जान चली गई, तो यह तय हो गया कि सेना में महिलाएं पुरुषों के कपड़े पहनकर लड़ेंगी। इसके बाद यह कदम काम आया और काकतीय राज्य को भी कई युद्धों में इसका लाभ मिला। इसके साथ ही गन्नमणि परिवारों की शादियों में भी कपड़े बदलने की यह परंपरा शुरू हुई थी, जिसका पालन आज तक किया जा रहा है।


