हिमाचल प्रदेश की जनता की बातें : BJP को पेंशन की टेंशन! AAP और कांग्रेस के अपने दावे

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पुरानी पेंशन, नई पेंशन, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा गर्माया हुआ है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राजनीतिक दलों की तैयारियों के लिए भी यह मुद्दा अहम साबित हो सकता है। एक ओर जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर पुरानी योजना को दोबारा लागू करने की बात कर रहे हैं। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी इसकी बहाली पर विचार करने की बात कह चुकी है। इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

क्या है विरोध की वजह?
OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी को अंतिम सैलरी का 50 फीसदी मिलती था और सरकार उन्हें पूरी राशि देती थी। अब न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में कर्मचारी को सैलरी और डीए का कम से कम 10 फीसदी पेंशन फंड में देना होता है। सरकार इन फंड में 14 फीसदी का योगदान देती है। बात में इन फंड्स को सिक्योरिटी, स्टॉक में निवेश किया जाता है और मूल्यांकन के आधार पर पेंशन तय होती है।

अब विरोध इसलिए है कि सरकारी कर्माचारी OPS को सुनिश्चित लाभ मानते हैं। जबकि, NPS के तार बाजार से जुड़े हुए हैं। NPS 1 अप्रैल 2004 को लागू हुई थी।

राजनीतिक दलों की राय
पंजाब और दिल्ली में सत्तारूढ़ आप का दावा है कि अगर सत्ता में आते हैं, तो राज्य में दोबारा पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। इतना ही नहीं पार्टी ने पंजाब में पुरानी योजना भी लागू कर दी है। इधर, कांग्रेस भी इसी तरह की बात कह रही है। अब भाजपा भी अपना रुख बदलते दिख रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी एक कमेटी के गठन की घोषणा कर चुके हैं, जो OPS की बहाली पर विचार करेगी।

आम जनता का मूड
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारी शिमला में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। सभी OPS की बहाली की मांग कर रहे हैं। खास बात है कि राज्य में करीब 4.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और रिटायर्ड कर्मचारी भी बड़ी संख्या में हैं। 55 लाख मतदाताओं वाले राज्य में इन दोनों वर्गों का हिस्सा काफी बड़ा है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 66 वर्षीय केएल सैनी ने बताया था कि 13 सालों से ज्यादा समय तक शासकीय डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने के बाद भी उन्हें कोविड के दौरान उधार लेना पड़ा था। साल 2019 में रिटायरमेंट के वक्त सैनी हर महीने 1.5 लाख रुपये लेते थे। आज उन्हें 5 हजार 170 रुपये की पेंशन मिलती है। वह कहते हैं कि इसके जरिए खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। वह भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों पर आरोप लगाते हैं।

NPS एसोसिएशन अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर कहते हैं कि यहां क्लास 1 या क्लास 4 वर्ग के रिटायर हो चुके प्रोफेसर और डॉक्टर हैं, जो अब प्रतिमाह 548 रुपये हासिल कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘सोचें कि किसी ने पेशे के लिए 35-40 साल समर्पित कर दिए, केवल करियर के अंत में इतनी कम राशि के लिए। बुढ़ापे में उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है, वे कैसे कमाएंगे?’

बढ़ेगा आर्थिक भार?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। वहीं, अगर पुरानी पेंशन योजना दोबारा लागू की जाती है, तो राज्य पर 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

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