World wide city live : पंजाब की जेलों में सुरक्षा को लेकर कर समय-समय पर सवाल उठते रहे है। नाभा जेल ब्रेक हो या फिर नाभा जेल में ही डेराप्रेमी की महिंदर पाल बिट्टू की हत्या का मामला पंजाब के जेल अक्सर ही चर्चा का विषय बनते रहे हैं। राज्य के सबसे हाईप्रोफाइल केस सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल दो आरोपितों की भी इसी माह गोइंदवाल जेल में गैंगवार के बाद हत्या कर दी गई।
विधानसभा की अनुमान कमेटी ने भी जेलों की सुरक्षा पर गहरी चिंता जाहिर की हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा हैं कि जेलों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इससे पहले कि सरकार विधानसभा की पटल पर रखी रिपोर्ट पर कोई बहस होती, कोई कार्रवाई होती बठिंडा के केंद्रीय जेल में बंद गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई के साक्षात्कार ने जेल सुरक्षा की पोल खोल दी। हालांकि जेल प्रशासन इस मामले में किसी भी तरह की इंटरव्यू होने से इंकार कर रहा है।
केंद्रीय अनुमान कमेटी की ओर से सिफारिश की गई है कि राज्य की सभी केंद्रीय जेलों की सुरक्षा में लगे कैमरों का रिव्यू किया जाए। कमेटी की ओर से कहा गया है कि जरूरत के हिसाब से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए। कैमरे पूरी तरह से आधुनिक होने चाहिए। इसके साथ साथ जेलों में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। अगर जेलों में किसी तरह की फंडों की कमी है तो इसे दूर करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर भेजी जाए ताकि फंडों की कमी और अन्य खामियों को दूर किया जाए सके।
कमेटी ने बताया कि वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक वित्त साल के दौरान सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 6, 59, 57 करोड़ रुपये का बजट मुहैया हुआ। जिसमें से 6, 11, 54, 210 करोड़ खर्च किया जा चुका है। जिस के साथ पंजाब के 459 थानों में से 424 थानों व सीआईए स्टाफ में हर एंट्री और एग्जिट प्वांइट पर चार चार कैमरे लगाए गए। बाकी बची 48, 2725 लाख रुपये की रकम राज्य को वापस भेज दी गई। लेकिन जेलों में कैमरे और जैमरों को लेकर पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है। जेलों में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर लगातार सवाल उठ रहे है।


