World wide City Live, जालंधर (आँचल) : हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को श्री गुरु नानक देव जी की जयंती यानि जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सिख श्रद्धालु इस दिन गुरूद्वारों में जाकर माथा टेकते हैं। सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि दुनियाभर के गुरुद्वारों में इस दिन अलग ही रौनक देखने को मिलती है। राज्य में ऐसे कई गुरूद्वारे हैं जो अपनी आस्था और खूबसूरती के लिए पहचाने जाते हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ गुरूद्वारों के बारे में जहां आप प्रकाश पर्व पर दर्शनों के लिए पहुंच सकते हैं।
पंजाब के इतिहास में अमृतसर शहर का बहुत ही महत्व है। इस शहर को गुरु की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यहां स्थित श्री हरिमंदिर साहिब सिख धर्म की भक्ति और आस्था का केंद्र है। यह पंजाब का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है और दूर-दूर से संगत यहां नतमस्तक होने पहुंचती हैं। यह मंदिर सुंदरता के लिए दुनियाभर में विख्यात है। प्रकाश पर्व पर गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए एक बार जरूर स्वर्ण मंदिर पहुंचे।
रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड से मात्र 300 मीटर की दूरी पर स्थित गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब की ख्याति दूर-दूर तक है। मान्यता है कि यहां के सरोवर में पांच पंचमी पर स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इसे श्री गुरु तेग बहादुर जी की चरण छोह प्राप्त है।
पावन नगरी सुल्तानपुर लोधी स्थित गुरुद्वारा श्री बेर साहिब पंजाब में बहुत प्रसिद्ध है। श्री गुरु नानक देव जी का भक्ति स्थल होने के कारण श्रद्धालुओं की इसमें बहुत आस्था है। मान्यता है कि गुरु जी ने अपने भक्त खरबूजे शाह के निवेदन पर बेर के पौधे को यहां लगाया था। 550 साल बाद भी बेर हरीभरी है।
तख्त श्री केसगढ़ साहिब सिख धर्म के पांच तख्तों में से एक है। यह श्री आनंदपुर साहिब का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। यहीं पर 13 अप्रैल, 1699 में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर यहां हर साल विशाल नगर कीर्तन सजाया जाता है। यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु नतमस्तक होने पहुंचते हैं।


