World wide City Live, जालंधर (आँचल) : शिरोमणि अकाली दल की तेजतर्रार नेता एवं एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर को पार्टी से निलंबित करने के फैसले से दोआबा की अकाली राजनीति में दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे। बीबी जागीर कौर ने अकाली दल की रणनीति के उलट शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। उनके रुख से अकाली दल में खलबली मची हुई है।
इस बगावत से अकाली दल के समीकरण बदलेंगे। वह अकाली दल की बड़ी नेता हैं और खास तौर पर दोआबा की राजनीति में बड़ा प्रभाव रखती हैं। कपूरथला की बेगोवाल विधानसभा सीट से कई बार विधायक और पंजाब सरकार में कई मंत्रालय संभाल चुकी बीबी जागीर कौर दोबारा एसजीपीसी अध्यक्ष बनना चाहती थीं। मगर पार्टी ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद से ही उनके तेवर तीखे थे। जिस तरह से बीजेपी पंजाब में पार्टी का विस्तार कर रही है, ऐसे में बीबी जागीर कौर के तेवरों को भाजपा की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
एसजीपीसी सदस्य परमजीत सिंह रायपुर ने कहा कि अध्यक्ष पद के लिए लिफाफा कल्चर खत्म होना चाहिए। एसजीपीसी धार्मिक संस्था है और धर्म एवं मर्यादा के अनुसार लोकतांत्रिक ढंग से ही चुनाव होना चाहिए। पहले ही निर्णय ले लिया है कि जो भी अकाली दल का उम्मीदवार होगा उसका विरोध करेंगे।
बीबी जागीर कौर की अकाली दल की संगठनात्मक इकाई में पकड़ है और उनके कई करीबी महत्वपूर्ण पदों पर हैं। ऐसे में अगर उन्हें पार्टी से बाहर किया जाता है तो अकाली दल दोआबा में नुकसान उठा सकता है। अकाली दल के दोआबा से ही दूसरे बड़े नेता गुरप्रताप वडाला भी इस समय नाराज हैं। ऐसे में नेताओं की नाराजगी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है। अगर उन्हें पार्टी से निकाला जाता है तो कई नेता समर्थन में खड़े हो सकते हैं।
यूथ अकाली दल की जालंधर देहाती इकाई के प्रधान तजिंदर सिंह निज्जर ने बीबी जागीर कौर को पार्टी से निलंबित करने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही सख्त फैसलों की जरूरत है। बीबी के केसों की वजह से शिअद को बहुत नुकसान हुआ, लेकिन पार्टी ने हमेशा उनका समर्थन किया। वह अब पार्टी को ही नुकसान पहुंचा रही हैं। ऐसे नेता पार्टी से बाहर रहेंगे तो मजबूती बढ़ेगी।


