नेता वादियों में ले रहे नजारे, शहर में विकास कार्य ठप होने से लोग बेहाल

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World wide City Live, जालंधर (आँचल) : शहर के जनता से जुड़े मुद्दे छोड़कर राजनीतिक दलों के नेता हिमाचल की हसीन वादियों में चुनाव प्रचार के बहाने आराम फरमा रहे हैं। करीब एक महीने से सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का हिमाचल आना-जाना बना हुआ है। खास तौर पर कांग्रेस और भाजपा नेताओं की व्यस्तता हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बढ़ गई है।

शहर के कई नेताओं की ड्यूटी पार्टी ने पर्यवेक्षक और इंचार्ज के तौर पर हिमाचल प्रदेश की अलग-अलग विधानसभा सीटों पर लगाई हुई है। ऐसे में यह नेता अब जालंधर में काम छोड़कर हिमाचल में चुनाव प्रचार अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। शहर में विकास कार्य पूरी तरह ठप है। यहां तक की सफाई, पानी की सप्लाई, कूड़े का उठाव जैसे जरूरी काम भी पूरी तरह से नहीं हो पा रहे।

ठेकेदारों ने सभी तरह के काम से हाथ खींच रखा है क्योंकि उन्हें कई महीनों से भुगतान नहीं किया जा रहा है। पार्टी में आगे बढ़ने और बड़े नेताओं के निकट जाने के लिए कई नेताओं ने खुद ही चुनाव में ड्यूटी लगवाई है। बेशक इस चक्कर में उनकी जालंधर में जमीन खिसक रही है।

निगम चुनाव को लेकर कोई भी पार्टी गंभीर नहीं

नगर निगम चुनाव भी अब सिर पर हैं लेकिन जालंधर में चुनावी मुद्दों को उठाने के बजाय हिमाचल के मुद्दों को लेकर राजनीतिज्ञ वहां पर सक्रिय हैं। पंजाब में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की हार के बाद अब नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी का इम्तिहान है क्योंकि पिछले आठ महीनों में आम आदमी पार्टी पर भी दबाव बना है और ग्राफ में गिरावट आई है। भाजपा, कांग्रेस और अकाली दल को नगर निगम चुनाव में तभी फायदा मिल पाएगा जब यह गंभीरता के साथ मैदान में उतरेंगे। कांग्रेस और भाजपा के पास इस समय मौका है कि वह निगम चुनाव से जुड़े मुद्दों को उठा कर बढ़त बना सकें लेकिन कोई भी इन मुद्दों पर काम नहीं रहा है। भाजपा के पास ज्यादा मौका है क्योंकि राज्य में आप की सरकार है तो निगम में कांग्रेस का राज है। अब जनता इन दोनों से ही नाराज नजर आ रही है तो भाजपा इसे कैश कर सकती है।

कांग्रेस-भाजपा में प्रधान बदलने की चर्चा से भी शिथिलता

कांग्रेस और भाजपा की कार्यशैली इस समय काफी सुस्त नजर आ रही है। इस शिथिलता का एक कारण यह भी है कि दोनों ही पार्टियों के जिला प्रधान बदलने की चर्चा है। भाजपा के जिला प्रधान का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो रहा है। इसके बाद नए प्रधान की नियुक्ति होनी है। कांग्रेस में पंजाब प्रधान बनने के बाद से अमरिंदर सिंह राजा ने अपनी मर्जी के प्रधान नहीं लगाए हैं। वह ब्लाक प्रधानों और डेलीगेट्स से नए जिला प्रधानों पर राय ले चुके हैं लेकिन सूची जारी नहीं हुई है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले यह सूची जारी होने पर संदेह लग रहा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं को नए प्रधान का इंतजार है।

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