World wide City Live, पंजाब (आंचल) : पंजाब के नशा मुक्त होने का दावा कर रही राज्य सरकार व आला पुलिस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से झटका लगा है। नशे के चक्कर में शिअद-भाजपा और फिर कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार चली गई, लेकिन राज्य से नशा खत्म नहीं हुआ।
हालांकि, आप सरकार बनने के बाद आठ हजार मामले दर्ज हो चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं आया है। शराब तस्करी से लेकर हेरोइन, आइस और नशीली दवाओं की बिक्री खुलेआम हो रही है। नशे में लिप्त लोगों का वीडियो भी लगातार वायरल हो रहा है।
पंजाब में ड्रग्स का अरबों-खरबों का कारोबार थमा नहीं है। इसे चार सप्ताह में खत्म करने के चक्कर में पंजाब में कांग्रेस हाशिए पर चली गई। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूबे में ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2,32,856 है।
इस सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि सर्वाधिक 53 फीसदी (1,23,413) लोग हेरोइन और चिट्टे का नशा करते हैं, लेकिन नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक पंजाब में एक लाख के पीछे 33 लोग नशा तस्करी में लिप्त हैं।
ड्रग्स के मामले इतने बढ़े कि एसटीएफ बनाना पड़ा
राज्य खुफिया विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, बठिंडा, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, पटियाला, संगरूर, मोगा और तरनतारन जिलों में नशा बढ़ा है। साल 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत पंजाब में 9,972 मामले दर्ज थे। जबकि 2016-2018 तक केस दर्ज करने के मामले में पंजाब देश में सबसे ऊपर था। यह 2019 और 2020 में देश में दूसरे स्थान पर था। राज्य में ड्रग तस्करी की घटनाएं इतनी बढ़ गई थीं कि 2017 में कैप्टन सरकार को नशीली दवाओं के खिलाफ एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उस वर्ष प्रदेश में 13,958 नशा तस्कर पकड़े गए। पिछले पांच सालों में पंजाब में 56,909 तस्कर पकड़े जा चुके हैं।


