World wide City Live, जालंधर (आँचल) : प्रदेश में शराब कारोबार के थोक एल-1 लाइसेंस रद्द करने की संभावनाएं क्षीण हुई होती दिखाई दे रही है। प्रदेश की मौजूदा आबकारी नीति में अब मात्र चार महीने की समय अवधि ही बाकी बची है और अब इन मात्र चार महीनों के लिए लाइसेंस रद्द करने की संभावना लगभग समाप्त होती दिखाई दे रही है, क्योंकि लाइसेंस रद्द करने के बाद लाइसेंस धारकों को पैसा भी वापस किया जाना है और ठेकेदारों को शराब उपलब्ध कराने के लिए नई प्रक्रिया भी लागू की जानी अनिवार्य है।
एक्साइज विभाग की तरफ से मौजूदा पालिसी जून महीने से लागू की गई थी और मात्र 9 महीनों के लिए थी। इस वजह से देसी शराब का एल-वन लाइसेंस के लिए 40 लाख रुपये और अंग्रेजी शराब के एल-वन लाइसेंस के लिए 4 करोड़ फीस ली गई थी।
फील्ड अधिकारियों से फीडबैक लिए जाने के बाद एल-वन लाइसेंस रद करने का आधार शराब की नियमित सप्लाई न हो पाना ही बताया जा रहा था। इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही थी कि अगर विभाग की तरफ से एल-वन लाइसेंस रद किए जाते हैं तो फिर शराब ठेकेदारों को सीधे शराब की डिस्टलरी से ही खरीदनी पड़ेगी। जून महीने के दौरान भी जब शराब ठेके खोल दिए गए थे तब एल-वन खुल ही नहीं पाए थे और तब भी विभाग की तरफ से विशेष परमिट देकर शराब ठेकेदारों को सीधे डिस्टलरी से शराब खरीदने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी।
अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर शराब के थोक कारोबारियों ने कहा कि करोड़ों रुपए लाइसेंस लेने के लिए फीस अदा की गई इस पूरी प्रक्रिया को चलाने के लिए सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी पर रखा गया और एकाएक लाइसेंस रद्द कर देने से जहां पैसे का नुकसान होगा से कई लोगों की नौकरी चली जाएगी और शराब ठेकेदारों को भी डिस्टलरी से शराब खरीदने की नई प्रक्रिया से गुजरना पढ़ना था।
अब तो मात्र चार महीने बाकी बचे हैं, सो इस बात की संभावना बेहद कम है कि अब लाइसेंस रद्द किए जाएंगे। शराब के थोक कारोबारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर सरकार लाइसेंस ही रद्द कर देती है तो फिर अगले साल से काम लेने पर गंभीरता से विचार करना होगा।


