केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी के बाद विधायकों में सन्नाटा

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World wide City Live, जालंधर : छापेमारी के बाद विधायक सन्नाटे में जालंधर में केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी के बाद से विधायक सन्नाटे में हैं। इस कार्रवाई को लेकर न तो किसी विधायक ने सियासत की और न ही बयानबाजी। यह अच्छी बात है कि कम से कम विधायकों को यह समझ आ गया है कि हर मामले में सियासत करना ठीक नहीं। शहर के तमाम मामलों में बोलने वाले विधायकों की चुप्पी और अचानक से उनका गायब हो जाना लोगों को अखर रहा है। हालांकि एक विधायक ने इंटरनेट मीडिया पर अपने समर्थकों के जरिए यह सूचना शहरवासियों को उपलब्ध करवाई है कि वह गुजरात चुनाव में प्रचार कर रहे हैं। छापेमारी की पहली सूचना जब बाहर निकली तो उसमें एक विधायक का नाम भी सामने आया था। इसके बाद से सियासी दलों के छोटे नेताओं ने पूरे प्रकरण पर अपनी नजरें जमा ली हैं और सियासत में रुचि रखने वाले लोगों की नजरें भी विधायकों की गतिविधियों पर टिकी हुई हैं।

नई सरकार ने सत्ता में आने के बाद पिछली सरकार द्वारा जारी की गई करोड़ों रुपये की धनराशि वापस मंगवा ली। इसके चलते विकास के सैकड़ों काम रुक गए हैं। यह धनराशि शहरी इलाकों के साथ-साथ देहाती इलाकों में भी विकास कार्यों पर खर्च की जानी थी। शहरी कांग्रेस तो इस मामले में कोई कदम नहीं उठा पाई, लेकिन देहाती कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ ग्रांट वापस मंगवाने के फैसले के विरोध में जिला प्रशासनिक कांप्लेक्स पर धरना दिया। बात धरने की नहीं सीख की है कि देहाती कांग्रेस कम से कम मुद्दों को लेकर जागरूक तो है। धरना शहरी कांग्रेस के इलाके में आकर दिया गया। इसके बावजूद शहरी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को यह याद तक नहीं आ रहा कि यह उनका भी मुद्दा है। दोनों एकजुट होकर धरना दे सकते हैं। जालंधर शहर में भी सरकार द्वारा ग्रांट वापस मंगवाए जाने के बाद दर्जनों काम रुक गए हैं।

खबरनवीसों ने तो हद कर दी जालंधर में बीते दिनों एक बड़े औद्योगिक घराने सहित तीन स्थानों पर आयकर विभाग की टीम ने रेड की। खबरनवीसों को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, आनन-फानन में इसकी कवरेज को लेकर होड़ लग गई। खबरनवीसों ने इसे एनआइए से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक की छापेमारी करार दे दिया। शाम को स्थिति स्पष्ट हुई कि मामला आयकर विभाग का है। इसके बाद सियासी पंडितों में चर्चाओं का बाजार तेज हुआ कि आखिर ऐसा क्या है कि आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी की है। एक दिन बाद छापेमारी में गुजरात का नाम शामिल हो गया। दूसरे दिन हिमाचल प्रदेश का भी नाम सामने आया। दोनों प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं, इसलिए छापेमारी को विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। आयकर विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं जारी की गई कि आखिर पूरा मामला क्या है और उन्हें छापेमारी में क्या हासिल हुआ।

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