World wide City Live : सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए EWS आरक्षण पर अहम फैसला सुनाया। देश की सुप्रीम अदालत ने इसके 10 फीसदी आरक्षण पर मोदी सरकार के फैसले को वैध करार दिया। पीठ ने कहा कि यह आरक्षण संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। अब क्योंकि EWS आरक्षण पर कोई रुकावट नहीं रह गई है तो जान लेते हैं कि 10 फीसदी कोटे वाले इस आरक्षण का फायदा किसे मिल सकता है और इसके नियम क्या हैं।
2019 में सरकार लाई थी 103वां संविधान संशोधन
जनवरी 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 103 वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया था। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के खंड 6 में इस कोटे को जोड़ा जो नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देता है। इसके तहत राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण और नौकरी पर किसी भी आर्थिक रूस से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण दे सकती है। साथ ही अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर किसी भी शैक्षणिक संस्थान (प्राइवेट भी) में इस तरह का आरक्षण दिया जा सकता है।
किसे मिल सकता है फायदा
EWS का अर्थ है- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण। यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। अन्य श्रेणी के वर्गों जैसे ओबीसी (27%), एससी (15%), और एसटी (7.5%) आरक्षण पहले से है। EWS आरक्षण का फैसला आपके और आपके परिवार की वार्षिक आय पर निर्भर करता है। इस आरक्षण का फायदा लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। इसमें स्रोतों में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं।
खुद का आवासीय फ्लैट्स पर आरक्षण?
EWS आरक्षण के तहत व्यक्ति के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी जरूरी है। इसके अलावा 200 वर्ग मीटर से अधिक का आवासीय फ्लैट नहीं होना चाहिए। यहां यह गौर करने वाली बात है कि 200 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि का आवासीय फ्लैट नगरपालिका के अंतर्गत भी नहीं होना चाहिए।
EWS आरक्षण पर दावा कैसे कर सकते हैं
EWS आरक्षण का पात्र होने पर हालांकि शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन और सरकारी नौकरियों के लिए आयु में कोई छूट नहीं है लेकिन, कोटे से 10 फीसदी आरक्षण मिलता है। EWS के पात्र के पास आरक्षण का दावा करने के लिए ‘आय और संपत्ति प्रमाण पत्र’होना जरूरी है। यह प्रमाण पत्र तहसीलदार या उससे ऊपर पद के राजपत्रित अधिकारी ही जारी करते हैं। इस प्रमाण पत्र की वैधता एक साल रहती है। जिसे अगले वर्ष फिर से रीन्यू करना होता होता है।


