चंडीगढ़ के कई युवा रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार हो चुके हैं। नौकरी दिलाने का वादा कर उससे मोटी रकम ली गई, लेकिन न तो काम हुआ और न ही पैसा लौटाया गया। ऐसे ठगों के शिकार हुए कुछ युवक खुद ठग बन गए और आम लोगों को अपना शिकार बनाने लगे। दरअसल, सोमवार को कालका-हावड़ा मेल ट्रेन में फर्जी टीटीई पकड़े गए. युवकों में से एक पंकज कुमार ने बताया कि वह खुद रेलवे जॉइन करने के नाम पर ठगी का शिकार हो गया। एक गैंग है जो रेलवे में भर्ती होने का झांसा देकर पढ़े-लिखे युवाओं को ठग रहा है।
पंकज ने बताया कि 4 महीने पहले उसे भी ट्रेनिंग के नाम पर टीटीई, आई-कार्ड और ड्रेस का फर्जी ज्वाइनिंग लेटर देकर ट्रेनों में चेकिंग के लिए भेजा गया था. बाद में पंकज को अपने साथ हुए इस फ्रॉड का पता चला, तब तक वह टीटीई की वर्दी में यात्रियों से जुर्माने के तौर पर पैसे वसूलने का लुत्फ उठाने लगा।
इन क्षेत्रों में वसूली
गिरोह के सरगना ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि वह चंडीगढ़ के मोहाली के अलावा राजस्थान के अंबाला में ट्रेनों की जांच करता था और यात्रियों से जुर्माने के नाम पर पैसे वसूल करता था. पूछताछ में पता चला कि फर्जी टीटीई गैंग का सरगना आशुतोष नाम का शख्स है। यह गिरोह बिहार के सिकंदराबाद और रोहतास जिले में सक्रिय है. गैंग के सदस्य ईएफटी के जरिए यात्रियों से जुर्माना वसूल करते थे। पंकज को गिरफ्तार करने के बाद जीआरपी ने उसके पते पर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के पास होटल में छापा मारा। यहां से रेलवे के फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस अब पंकज के साथ ट्रेन में चेकिंग कर रहे 4-5 अन्य फर्जी टीटीई की तलाश कर रही है.
बिहार के आरोपी
पूछताछ में पंकज ने बताया कि वह बिहार के रोहतास जिले का रहने वाला है और उसने एनएसआईटी बिहार से टेक्निकल डिप्लोमा किया था. पहले उन्हें रेलवे में भर्ती का झांसा दिया गया। फिर टीटीई को ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनों में चेकिंग की गई। ठगी का पता चलने पर उसने गैंग को नहीं छोड़ा और लालच में फंसी ट्रेनों में चेकिंग कर यात्रियों से पैसे वसूल करता रहा। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि आशुतोष चेकिंग में साथ देता था। जिस रूट पर मूल रेलवे चेकिंग होती थी, उसी रूट पर ट्रेन से नकली टीटीई निकलते थे। वे उस ट्रेन को निशाना बनाते थे जिसमें टीटीई ने ज्यादा चेकिंग नहीं की।


